Sunday, May 2, 2010

अक्सर सोचता हूँ !

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

तू भी अकेली है
में भी अकेला हूँ
तुझे भी तलाश है एक आशियाँ की
मुझे भी तलाश है एक अजनबी की

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

यकीनन तुझे मोहब्बत है मेरे वजूद से
तू चाहती है मेरा साथ उम्र भर के लिए

-------शायद मैं भी चाहता हूँ तुझे
वरना क्यूँ ? घंटों बातें करता तुझसे
क्यूँ ? सोचता हूँ तेरे बारे मैं हर पल
क्यूँ गुजरती है तेरे पहलू में हर रात

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

एक तू है, बावफ़ा
चली आती है हर जगह हर वक़्त
मेरा साथ देने के लिए

एक मैं हूँ, बेवफा
नही चाहता तेरा साथ
यूँ हर जगह हर वक़्त

मैं भी मजबूर हूँ तू भी मजबूर है
मेरा भी तेरे सिवा कोई नही
शायद तेरा भी मेरे सिवा कोई नही

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

आ मेरी तन्हाई आ
सिमट जा मेरी बाहों में सदा के लिए
आ मेरी तन्हाई आ
फैला ये बाहें मुझे आगोश मैं ले - ले

मैं भी वफ़ा करूंगा
दूंगा तेरा साथ
हर जगह हर वक़्त
उम्र भर के लिए !

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