कठिन बहुत है प्यार की राहें
तुम ना जाना इन राहों में
जोगी बन के आज भी मजँनू
घूम रहे हैं इन राहों में !
टूटे ख्वाबों के कुछ टुकड़े
बिखरे होंगे इन राहों में
हसरत होंगी पाँव के नीचे
और छाले भी इन राहों में !
पार नदी के खड़ी हुई हैं
कितनी सोहणी इन राहों में
कितने राझें ढूढं रहे हैं
अपनी हीरे इन राहों में !
भूख लगेगी जब-जब पथ में
ठोकर खाना इन राहों में
प्यास तुम्हें जब व्याकुल कर दे
आसूँ पीना इन राहों में !
पहाड़ काटकर नहर बनाते
कितने खुदकश इन राहों में
आग का दरिया इश्क नाम है
कितने डूबे इन राहों में !!
ब्लॉग की इस दिलचस्प दुनिया में
ReplyDeleteआपका तहेदिल से स्वागत
......
ReplyDeleteआग का दरिया इश्क नाम है
कितने डूबे इन राहों में !
---vaah!
हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है... इसी तरह तबियत से लिखते रहिये.
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